Mahashivratri
काल रूपी ब्रह्म अर्थात् सदाशिव तथा प्रकृति (दुर्गा) श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु तथा श्री शिव के माता पिता हैं। ॐ नमः शिवाय पंचाक्षरी मंत्र नहीं है - श्री शिव पुराण । ॐ नमः शिवाय से मुक्ति संभव नही। शिव जी से लाभ पाने का मंत्र और विधि केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं। शिव जी अविनाशी व पूर्ण परमात्मा नहीं हैं। कविर्देव हैं जो सतलोक के मालिक हैं। ब्रह्मा-विष्णु-शिव जी नाशवान परमात्मा हैं। महाप्रलय में ये सब तथा इनके लोक समाप्त हो जाएंगे।
परमेश्वर कबीर जी ने समझाया है कि तत्वज्ञानहीन मूर्ति पूजक अपनी साधना को श्रेष्ठ बताने के लिए जनता को भ्रमित करने के लिए विविध प्रकार के रंग-बिरंगे पत्थर के शिवलिंग रखकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। जो कि शास्त्र विरुद्ध साधना है। शिवलिंग की पूजा काल ब्रह्म ने प्रचलित करके मानव समाज को दिशाहीन कर दिया। वेदों तथा गीता के विपरीत साधना बता दी।
तीन देव की जो करते भक्ति।
उनकी कबहु न होवै मुक्ति।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि जो साधक भूलवश तीनों देवताओं रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, तमगुण शिव की भक्ति करते हैं, उनकी कभी मुक्ति नहीं हो सकती। ॐ नमः शिवाय से मुक्ति संभव नही। शिव जी से लाभ पाने का मंत्र और विधि केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही बता सकते हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश अवतार धर कर आते हैं और ये भी जन्म-मृत्यु में हैं। तीन देव की जो करते भक्ति। उनकी कबहु न होवै मुक्ति। परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि तमगुण शिव की भक्ति से मुक्ति नहीं हो सकती।
माया काली नागिनी, अपने जाये खात।
कुण्डली में छोड़ै नहीं, सौ बातों की बात।।
स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, आदि माया शेराँवाली भी निरंजन की कुण्डली में है। ये अवतार धर कर आते हैं और जन्म-मृत्यु का चक्कर काटते रहते हैं। सामान्य जीव से लेकर ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव जी तक भी सुखी नहीं हैं। क्योंकि इनकी भी मृत्यु होती है। (श्रीमद देवी भागवत पृष्ठ 123) और जब तक जन्म - मरण है तब तक सुख नहीं हो सकता।
देखिये साधना टीवी चैनलपर रोज श्याम 7:30 से
काल रूपी ब्रह्म अर्थात् सदाशिव तथा प्रकृति (दुर्गा) श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु तथा श्री शिव के माता पिता हैं। ॐ नमः शिवाय पंचाक्षरी मंत्र नहीं है - श्री शिव पुराण । ॐ नमः शिवाय से मुक्ति संभव नही। शिव जी से लाभ पाने का मंत्र और विधि केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं। शिव जी अविनाशी व पूर्ण परमात्मा नहीं हैं। कविर्देव हैं जो सतलोक के मालिक हैं। ब्रह्मा-विष्णु-शिव जी नाशवान परमात्मा हैं। महाप्रलय में ये सब तथा इनके लोक समाप्त हो जाएंगे।
परमेश्वर कबीर जी ने समझाया है कि तत्वज्ञानहीन मूर्ति पूजक अपनी साधना को श्रेष्ठ बताने के लिए जनता को भ्रमित करने के लिए विविध प्रकार के रंग-बिरंगे पत्थर के शिवलिंग रखकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। जो कि शास्त्र विरुद्ध साधना है। शिवलिंग की पूजा काल ब्रह्म ने प्रचलित करके मानव समाज को दिशाहीन कर दिया। वेदों तथा गीता के विपरीत साधना बता दी।
तीन देव की जो करते भक्ति।
उनकी कबहु न होवै मुक्ति।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि जो साधक भूलवश तीनों देवताओं रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, तमगुण शिव की भक्ति करते हैं, उनकी कभी मुक्ति नहीं हो सकती। ॐ नमः शिवाय से मुक्ति संभव नही। शिव जी से लाभ पाने का मंत्र और विधि केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही बता सकते हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश अवतार धर कर आते हैं और ये भी जन्म-मृत्यु में हैं। तीन देव की जो करते भक्ति। उनकी कबहु न होवै मुक्ति। परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि तमगुण शिव की भक्ति से मुक्ति नहीं हो सकती।
माया काली नागिनी, अपने जाये खात।
कुण्डली में छोड़ै नहीं, सौ बातों की बात।।
स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, आदि माया शेराँवाली भी निरंजन की कुण्डली में है। ये अवतार धर कर आते हैं और जन्म-मृत्यु का चक्कर काटते रहते हैं। सामान्य जीव से लेकर ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव जी तक भी सुखी नहीं हैं। क्योंकि इनकी भी मृत्यु होती है। (श्रीमद देवी भागवत पृष्ठ 123) और जब तक जन्म - मरण है तब तक सुख नहीं हो सकता।
देखिये साधना टीवी चैनलपर रोज श्याम 7:30 से
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