पुर्ण ब्रह्म परमात्मा का संविधान
जब तक सच्चा गुरु न मिले, तब तक गुरु बदलते रहना चाहिए। झूठे गुरु को तुरन्त त्याग देना। सतगुरु बिना मोक्ष असंभव है।
जब तक गुरु मिले नहीं साचा, तब तक गुरु करो दस पाँचा।
कबीर झूठे गुरु के पक्ष को, तजत न लागै वार। द्वार न पावै मोक्ष का, रह वार का वार।।
जीव हत्या महापाप है। मांस खाने वाला महानरक का भागी बनता है।
कबीर, जीव हनै हिंसा करै, प्रगट पाप सिर होय। निगम पुनि ऐसे पाप तें भिस्त गया नहिं कोय।।
कबीर, हरि के नाम बिना, नारि कुतिया होय।
गली-गली भौकत फिरै, टूक ना डालै कोय।।
परमात्मा के नाम जाप बिना स्त्री अगले जन्म में कुतिया का जीवन प्राप्त करती है। फिर निःवस्त्र होकर नंगे शरीर गलियों में भटकती रहती है, भूख से बेहाल होती है।
अश्लील फिल्में देखना ,नाटक देखना, जुआ खेलना, ताश खेलना मना है। इससे मनुष्य जीवन का अनमोल समय नष्ट होता है जो मोक्ष प्राप्ति के लिए मिला है।
कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार। तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि।।
छुआछूत, ऊंच-नीच व जात-पात का भेदभाव रखने वाले परमात्मा के दोषी हैं। सब परमात्मा के बंदे हैं। परमात्मा किसी के साथ भेदभाव नहीं करता। हम क्यों करें।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा ।
हिन्दु मुसलिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा ।।
ब्याज नहीं लेना चाहिए। ब्याज लेने वालों का सर्वनाश हो जाता है। दुर्गति होकर मृत्यु होती है। इन ओछे हथकंडों से धनी नहीं बन सकते। धनी परमात्मा की रजा से बनते हैं।
जो मानव चोरी, डकैती, ठगी, वैश्यागमन करते हैं, वे महाअपराधी हैं। जो स्त्रियां वैश्या का धंधा करती हैं, वे भी महाअपराधी हैं। परमात्मा के दरबार में उनको कठिन दण्ड दिया जाएगा।
कबीर, चोरी जारी वैश्या वृति, कबहु ना करयो कोए।
पुण्य पाई नर देही, ओच्छी ठौर न खोए।।
शराब पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों के सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं।
सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।
तम्बाकू सेवन करना महापाप है | तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।।
यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। तमाखू का सेवन करने से गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।
आधिक जानकारी के लिए रोज देखिये साधना चँनल श्याम 7:30 बजे, पढीये पुस्तक ज्ञानगंगा, जीने की राह।
जब तक सच्चा गुरु न मिले, तब तक गुरु बदलते रहना चाहिए। झूठे गुरु को तुरन्त त्याग देना। सतगुरु बिना मोक्ष असंभव है।
जब तक गुरु मिले नहीं साचा, तब तक गुरु करो दस पाँचा।
कबीर झूठे गुरु के पक्ष को, तजत न लागै वार। द्वार न पावै मोक्ष का, रह वार का वार।।
जीव हत्या महापाप है। मांस खाने वाला महानरक का भागी बनता है।
कबीर, जीव हनै हिंसा करै, प्रगट पाप सिर होय। निगम पुनि ऐसे पाप तें भिस्त गया नहिं कोय।।
कबीर, हरि के नाम बिना, नारि कुतिया होय।
गली-गली भौकत फिरै, टूक ना डालै कोय।।
परमात्मा के नाम जाप बिना स्त्री अगले जन्म में कुतिया का जीवन प्राप्त करती है। फिर निःवस्त्र होकर नंगे शरीर गलियों में भटकती रहती है, भूख से बेहाल होती है।
अश्लील फिल्में देखना ,नाटक देखना, जुआ खेलना, ताश खेलना मना है। इससे मनुष्य जीवन का अनमोल समय नष्ट होता है जो मोक्ष प्राप्ति के लिए मिला है।
कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार। तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि।।
छुआछूत, ऊंच-नीच व जात-पात का भेदभाव रखने वाले परमात्मा के दोषी हैं। सब परमात्मा के बंदे हैं। परमात्मा किसी के साथ भेदभाव नहीं करता। हम क्यों करें।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा ।
हिन्दु मुसलिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा ।।
ब्याज नहीं लेना चाहिए। ब्याज लेने वालों का सर्वनाश हो जाता है। दुर्गति होकर मृत्यु होती है। इन ओछे हथकंडों से धनी नहीं बन सकते। धनी परमात्मा की रजा से बनते हैं।
जो मानव चोरी, डकैती, ठगी, वैश्यागमन करते हैं, वे महाअपराधी हैं। जो स्त्रियां वैश्या का धंधा करती हैं, वे भी महाअपराधी हैं। परमात्मा के दरबार में उनको कठिन दण्ड दिया जाएगा।
कबीर, चोरी जारी वैश्या वृति, कबहु ना करयो कोए।
पुण्य पाई नर देही, ओच्छी ठौर न खोए।।
शराब पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों के सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं।
सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।
तम्बाकू सेवन करना महापाप है | तमा + खू = तमाखू।
खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।।
यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। तमाखू का सेवन करने से गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।
आधिक जानकारी के लिए रोज देखिये साधना चँनल श्याम 7:30 बजे, पढीये पुस्तक ज्ञानगंगा, जीने की राह।
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